Sunday, February 10, 2008

1.03 मुरदा के करमात

[ कहताहर - श्यामसुन्दर सिंह, उम्र - 32 वर्ष, गाँव - बेलखरा (गया) ]

एगो महतो के चार लइकन हलन । ऊ बड़ा गरीब हलन । एक दफे चारों भाई अपना में बँटवारा करे ला लड़े लगलन । महतो जी कहलन कि ई घड़ी बँटवारा कउची के करबऽ ? हम मर जायम तो हमर शरीर ले जाके राजा के बजार में रख दीहँ । राजा साँझ खनी सब समान खरीद ले हथन । (राजा के पूछला पर) जाके कहिहँ कि मुरदा के दाम मुरदे कहत । महतो जी एक दिन मर गेलन । चारो भाई अनखा राजा के बजार में ले गेलन । सब सौदा बिक गेल तो लोग कहलन कि मुरदा तूँ इहाँ काहे ला लवलऽ हे । ओहनी कहलन कि हम बेचे ला लवली हे । सोर भेल आउ ई खबर राजा भीर गेल । राजा आन के ओहनी से पूछलन तो ओहनी कहलन कि मुरदा के दाम मुरदे कहत । मुरदा बोलल कि हम्मर एक लाख दाम हे । हमरा ले जाके अप्पन दुरा पर सामने मचान बना के रख दीहँ । राजा ओहनी के एक लाख रुपया दे के मुरदा ले लेलन । चारो भाई रुपेआ बाँट के घरे चल अयलन ।
******* Entry Incomplete*********

No comments: