Monday, March 3, 2008

3.15 पंडी जी आउ वानर

[ कहताहर - यशोमति देवी, मो॰-पो॰ - बेलागंज, जिला - गया]

एगो पंडी जी हलन । ऊ एगो बानर पोसले हलन । पंडी जी गाँव में भीख माँग के खा-कमा हलन । ओकरा से उनका पेट न भरऽ हल । पंडिताइन जी एक दिन कहलन कि तोरा इहाँ पेट न भरतवऽ से कहउँ सहर में जाके कमा इया माँगऽ गन तऽ पेट भरतवऽ । से पंडी जी बाहर जाय ला तइयार हो गेलन । पड़िआइन राते में दूगो रोटी पका देलन । अन्हारे रोटी लेके बाबा जी चललन तो साथे बनरो चलल । बाबा जी ओकरा रोकलन कि तूँ मत जो, भूख लगतउ तो का करबे ? ऊ कहलक कि चलऽ, तूँ जे खयबऽ से हम खायब । बनरा साथे चलल । कुछ दूर गेल तो बनरा कहलक कि भूख लगल हे । बाबा जी कहलन कि तखनिये न कहलिअउ हल कि खयबें का ? बनरा के रोटी के एक टुकड़ा दे देलन, एक टुकड़ी घोड़वा के देलन आउ एक टुकड़ी अपने खा के पानी पी लेलन आउ फिनों घोड़ा पर बइठ के चललन । बनरा भी पीछे-पीछे चलल ।

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