Monday, March 24, 2008

7.02 सबसे बलवान कउन ?

[ कहताहर - रामप्यारे सिंह, मो॰-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एक ठो पच्छिम के पहलवान हल आउ एक ठो पूरब के । पच्छिम के ताल मारे तो पूरब ओला के सुनाय दे आउ पूरब ओला ताल मारे तो पच्छिम ओला के सुनाय पड़े । पूरब के पहलवान सोचलक कि पच्छिम वाला से तनी हाथ मिलाईं । ऊ चलल उहाँ से हाथ मिलावे आउ पच्छिम के पहलवान के पास आयल । ऊ घरे न हल बाकि ओकर बेटवा हल । ओकर बेटवा से पूछलक कि बाबूजी कहाँ गेलथुन हे ? बेटवा कहलकई कि तीन सौ साठ गाड़ी के लदनी करे जंगल में गेलन हे ।अंगना में एगो ताड़ के पेड़ देख के पहलवान कहलक कि हमरा छड़ी बनावे ला पेड़वा दे दे । बेटवा कहलकई कि एही पेड़ ला हमरा ही रोज लड़ाई होवऽ हे । बाबू जी कहऽ हथ कि दतउन करब आउ मइया कहऽ हे कि हम चलौना बनायम । तोरा कइसे दे देवऽ ? ई सुन के पूरब ओला सोचलक कि ई तो हमरो ला जब्बर पहलवान बुझाइत हे । पूरब ओला पहलवान जंगल में ओकरा खोजे चलल तो देखइत हे कि ऊ अकेले 360 गाड़ी तीरले चलल आवइत हे । ऊ ओहिजे लुका गेल । जब 360 गाड़ी पार हो गेल तो निकल के पिछला चक्का में अप्पन अँगूठा ठेका देलक । तीन सौ साठो गाड़ी रुक गेल । पच्छिम वाला पहलवान पर नजर पड़ल तो ऊ बोलल कि कुछ नऽ होलवऽ हे । हम तोरा से हाथ मिलावे ला अइली हे । पच्छिम ओला कहलक कि यहाँ देखत के ? एतने में एगो बुढ़िया हाड़ी में पानी ले-ले आवइत हल । ऊ बायाँ हाथ में भात ले-ले जाइत हल । पूरब ओला बुढ़िया से कहलक कि "जरा ठहर जो । हमनी के लड़इत देख तो कउन पटका हे ।" बुढ़िया बोलल कि "हम्मर बेटा 360 गो ऊँट चलावइत हे । भूखे हे, ठहर के हम कइसे देखे लगी ? लड़हीं ला हउ तऽ हमर दहिना हाथ के तरहत्थी पर लड़इत चल । हम देखइत चलबउ ।" दूनो ओकर तरहत्थी पर चढ़ के लड़े लगलन । चलइत-चलइत बुढ़िया के बेटवा के नजर पड़लई तऽ ऊ बोल ऊठल कि "बाइ रे बाप ! मइया हम्मर आज दूगो पहलवान ले-ले आवइत हे । बचे न देत !" एतना सोंच के ऊ दोहर बिछा देलक आउ तीन सौ साठो ऊँट के पकड़ के मोटरी बाँध देलक आउ कपार पर ले के भाग चलल । बुढ़िया के बार-बार चाल कयला पर भी ऊ नऽ रुकल, बस भागल चल गेल । बुढ़िया लौट के घर चल आयल ।

बुढ़िया के बेटा के पियास लगल तो एगो कुआँ पर मोटरी रख के पानी पीये लगल तब तक एगो चिल्ह आयल आउ मोटरी ले के उड़ गेल । चील उड़ल जाइत हल कि हहास के अवाज सुन के राजा के बेटी ऊपरे तकलक तऽ ऊँट के मोटरी ओकर आँखे में गिर गेल । ऊ आँख मल के कहलक कि कउची तो आँखे में पड़ गेल । ई निकाले ला चमइन बोलावल गेल तो चमनियाँ निकाल के तीन सौ साठो ऊँट अप्पन खोंइछा में रख लेलक आउ चल देलक । राजा के बेटी आँख मल के रह गेल ।

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