Monday, February 11, 2008

1.22 सात हंस

[ कहताहर - अम्बिका सिंह, बीजूबिगहा, जिला - नवादा ]

एक ठो राजा हलै । ओकरा सिकार खेले के बड़ा सौख हलै । एक दिन सिकार खेलते-खेलते ऊ जंगल में रस्तवे भुला गेलै । रस्तावा खोजते-खोजते एगो झोपड़ी मिललै । ओकरा में एक ठो बुढ़िया बैठल हलै । ऊ जादूगरनी हलै । रजवा ओकरा से रस्ता पूछलकै । तब बुढ़िया बोललकै - हाँ, हम तोरा रस्तावा बता देबो बाकि एक ठो बात पर । जब तूँ हम्मर बतिया नऽ मनबऽ तो तूँ जंगल में भूखे-पिआसे तड़प-तड़प के मर जयबऽ । रजवा बतिया पूछलकै - कउन बात बुढ़िया । बुढ़िया कहलकै कि हमरा एगो बेटी हकौ । जब तूँ ओकरा अप्पन रानी बनयबऽ तब तोरा जंगल से बाहर जाय के रास्ता बता देबो । रजवा बेचारा की करते हल ? बुढ़िया के बात मान लेलकै । तब बुढ़िया रजवा के रस्ता बता देलक । रजवा बुढ़िया के बेटिया लके अप्पन गाँव पहुँचलै । उहाँ ऊ दूनो में सादी हो गेलै ।

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