Monday, February 11, 2008

1.30 मुरुख लइका आउ लाल परी

[ कहताहर - इन्द्रदेव सिंह, ग्राम - दनई, पो॰ - जाखिम, जिला - औरंगाबाद ]

एगो राजा के तीन गो बेटी हलन । राजा बेटियन के खूब प्यार करऽ हलन । से तीनों बेटी के पढ़े लागी दूसर जगुन भेज देले हलन । जब तीनो बेटी पढ़ के अयलन तब राजा ओहनी से पूछलन कि केकरा राजे राज करईत हऽ बेटी । बड़की आउ मँझली बेटी बोललन कि बाप जान के राजे राज करइत हियऽ । बाकि छोटकी बेटी बोलल कि किस्मत आउ भावी पति के राजे राज करइत हियऽ । राजा सोचलन कि अभी छोटकी बेटी खूब नऽ पढ़ल हे । से फिनो ओकरा पढ़ लागी भेजवा देलन । एक-दू बरस के बाद पढ़ के फिन आयल तो राजा ओही सवाल कयलन । छोटी बेटी फिन ओइसहीं जवाब देलक । राजा जवाब सुन के बड़ी खिसिया गेलन आउ सिपाही के हुकुम देलन कि जा के मुरुख लइका खोजऽ जेकरा से एकर बिआह कर देब । सिपाही लोग लइका खोजे चल देलन । मुरुख के खोजइत-खोजइत एगो भारी जंगल में पहुँचलन । उहाँ एगो गड़ेरी के लड़का पेड़ के जउन डाढ़ पर बइठल हल ओकरे काटइत हल । सिपाही लोग देख के कहलन कि एकरा से बढ़ के कउन मुरुख मिलतइ कि जउन डाढ़ पर बइठल हे ओही डाढ़ के काटइत हे । ओही लड़का के बरियारी पेड़ से उतरववलन आउ पकड़ के राजा के पास ले गेलन । राजा पूछलन कि तोहनी एकरा 'बुड़बक' कइसे समझलऽ ? ओहनी सभे हाल कह सुनवलन तो राजा समझ गेल कि ई ठीके में 'बुड़बक' हे । राजा छोटकी लड़की के ओकरे से विआह कर देलन आउ अरिआत देलन । बाकी लड़की के माय बढ़ियाँ-बढ़ियाँ बेसकिमती कपड़ा पहिना देलक हल । मुरुख लड़का आउ राजा के बेटी दूनों एक साथे चल देलन ।


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