Monday, February 11, 2008

1.11 करमजरी के भाग

[ कहताहर - राधा कली, ग्राम - सिमरा, पो॰ - पनारी (गया) ]

एगो राजा के सात बेटा आउ एक बेटी हल । सातो बेटा के पहिले सादी भे गेल । बेटी के भी सादी ठीक हो गेल, बारात आयल आउ सादी भी हो गेल । कोहबर में लोग ओकरा से नाम पूछलन । ऊ कहलक कि नाम कहम तब हम मर जायम । लोग नऽ मानलन, कहलन कि नाम तो हम बतावइत ही । हम मर जायब तब हमरा जारिहऽ न, जंगल में फेंक दीहऽ । नाम धरते ऊ मर गेलन । मरे पर रोआ-रोहट होवे लगल । राजा के बेटी के नाम 'करमजरी' पड़ गेल । बरात घुर के चल गेल । राजा के बेटा के जाके लोग जंगल में फेंक देलन । सातो भाई परदेश जाय लगलन । अप्पन मेहरारू से सब जाइत खनी पूछलन कि तोरा ला का लबवऽ । ऊ सब अपन मन के मोताबिक कहलन । फिन सातो भाई 'करमजरी' से भी पूछलन कि तोरा ला हम कउची लायम ? ऊ कहलक कि हमरा ला एगो 'पनबट्टा' लेले अइहँऽ । सातो भाई परदेश चल गेलन । साल भर छव महिना के बाद लौटलन । सब सामान ले लेलन । तब सातो भाई फिन पनबट्टा ला चललन आउ पूछलन कि एकरा केतना दाम हे । दोकानदार कहलक कि एकर दाम एक लाख रोपेया हे । एक लाख सुन के ओकरा नऽ खरीदलन । सातो भाई बतिअयलन कि बहिनी से कहम कि मिलबे नऽ कयल । समुन्दर किनारे आन के जहाज पर चढ़ गेलन । चढ़ला पर जहाज खुलबे नऽ करे । केतनो उपाय कयल जाय तइयो नऽ खुले । तब सातो से मलाह पूछलक कि तोहनी के कुछ सरो-समान गड़बड़ायल हे से हमर जहाज नऽ खुलइत हे ।

********* Entry Incomplete **********

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