[ कहताहर - रामानन्द प्रसाद, ग्राम - मलिकपुर, थाना - सिलाव, जिला - पटना]
एगो हलै पंडित जी । ऊ बिजनेस के कम करऽ हलै । ओकरा एगो लड़का हलै । ऊ लड़कावा घरा पर बड़ी जुआ खेलऽ हलै । ओकर मइया के रोज सब सिकाइत करे आवे कि तोर बेटवा बड़ी जुआ खेलऽ हौ । सुनते-सुनते एक दिन लड़कावा के मइया ओकर बाबू जी ही चिट्ठी लिखलकै कि हम बड़ी जोर से बेमार हकियो । ई से तूँ एक दिन चल आवऽ । चिट्ठी लड़कावा के बाबू जी ही पहुँच गेल, तो लड़कावा के बाबू जी ऐला । ऊ अपन औरतिया से पूछलका कि कौन बात होलो से तूँ हमरा ही चिट्ठी लिखला कि तूँ जल्दी चल आवऽ । लड़कावा के मैया सब बात कहलका कि तोहर बेटा ऐसन हको कि रोज जुआ खेले ला परक गेलो हे । रोज पाँच-छ सौ रुपेया हार जा हको । लड़का के बाबू जी सोचलक कि हम अपन बेटा के परीक्षा ले लूँ ।
एगो हलै पंडित जी । ऊ बिजनेस के कम करऽ हलै । ओकरा एगो लड़का हलै । ऊ लड़कावा घरा पर बड़ी जुआ खेलऽ हलै । ओकर मइया के रोज सब सिकाइत करे आवे कि तोर बेटवा बड़ी जुआ खेलऽ हौ । सुनते-सुनते एक दिन लड़कावा के मइया ओकर बाबू जी ही चिट्ठी लिखलकै कि हम बड़ी जोर से बेमार हकियो । ई से तूँ एक दिन चल आवऽ । चिट्ठी लड़कावा के बाबू जी ही पहुँच गेल, तो लड़कावा के बाबू जी ऐला । ऊ अपन औरतिया से पूछलका कि कौन बात होलो से तूँ हमरा ही चिट्ठी लिखला कि तूँ जल्दी चल आवऽ । लड़कावा के मैया सब बात कहलका कि तोहर बेटा ऐसन हको कि रोज जुआ खेले ला परक गेलो हे । रोज पाँच-छ सौ रुपेया हार जा हको । लड़का के बाबू जी सोचलक कि हम अपन बेटा के परीक्षा ले लूँ ।
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