Monday, February 11, 2008

1.26 अहेरी कुमार आउ बलकी कुमारी

[ कहताहर - श्यामदेव सिंह, ग्राम-पो॰ - चौरी, जिला - औरंगाबाद ]

एगो बड़ा भारी राजा हलन । उनका धन-दौलत से खजाना भरल हल बाकि उनका इको लड़का न हल । सेकरा लागि बड़ा उदास रहऽ हलन । जे उनकर मुँह सबेरे में देखे से कहे कि आज बाँझ-बाँझिन के मुँह अन्हार ही देखली हे, कइसन तो दिन-बार जा हे ।राजा जानीओ लेथ तो मन मसोस के चुप रह जाथ । एक दिन उनका सुतले कोठरी में किरिन फूट गेल । बाहर में नोकर झाड़ू देइत हल सेकर अवाज सुन के राजा के नीन टूट गेल । आउ केंवाड़ खोलल तो उनका देखके नोकरो बोलल कि आज बाँझ के मुँह देखली हे, कइसन तो दिन जा हे ! राजा सुन के खिसिअयलन नऽ बलुक केंवाड़ी बंद कर लेलन आउ परन (प्रतिज्ञा) कैलन कि जब तक हमर दुख कोई नऽ बुझत तब तक केंवाड़ी न खोलब । अइसहीं भूखे-पिआसे कोठरी में बंद रहइत हलन ।


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