(लेखक द्वारा संकलित)
एगो पछिम देस के राजा हल । ओकरा बिआह हो गेल हल बाकि ओकर मन में एगो दूसर सुन्नर लड़की से बिआह करे के ललसा हल, से ऊधरे से निकल के ऊ पूरब देस में चल गेल । जाइते-जाइते एगो जंगल में पहुँचल आउ तपस्या करे लगल । पूजा करते-करते बड़ी दिन भे गेल तो ओकर पहिलकी मेहरारू एगो 'कउवा' के भेजलक, तो ऊ कउवा आन के कहलक कि तोर मेहरारू बिजोग में जर के मरल जाइत हथुन । तइयो ई बात सुन के राजा के मन न पसीजल आउ ऊ कहलक कि जब तक हमर दोसर बिआह न होयत तब तक हम कुछो न सुनव । ऊ पूजा करते-करते सूत गेल तो एक दिन ऊ देस के राजा के बेटी ओकरा भीरू आयल आउ राजा के उठावे लगल बाकि राजा न उठल तो ओकर चद्दर पर अपन हाल लिख के चल गेल । राजा उठल तो चद्दर पर के लिखल पढ़लक । पढ़ के ऊ बड़ी अफसोस में पड़ गेल आउ अप्पन सरीर के अपने तरवार से दू टुकड़ा कर लेलक । साँझ के महादे(व)-पारवती जी घूमे जाइत हलन । पार्वती जी ओकरा देख के कहलन कि ई तोरा बड़ी पूजा-पाठ करकवऽ हे । जब तक एकरा न झीअयवऽ तब तक हम आगे न जबवऽ । महादे(व) जी पारवती जी के बात सुन के राजा के धड़ के दूनो टुकड़ी के एक साथ जोड़ के अमरित छींट देलन आउ राजा जी गेल ।राजा उठ के ऊ लड़की के खोज में चलल । ऊ ऊहाँ के राजा के पास गेल आउ ऊ लड़की से सादी करे ला कहलक । राजा तइयार न भेल तो ई राजा लड़ाई करे ला तइयार हो गेल । दूनो राजा में लड़ाई होवे लगल । ई राजा तो अकेले हल । कइसे पार पावथ । से महादे(व) जी के सुमिरलक । महादे(व) जी भूत-परेत के साथे उहाँ आ गेलन । खूब लड़ाई भेल । अब तो ऊ राजा अप्पन लड़की से राजा के साथ बिआह कर देलक । सादी करके राजा रानी के साथ अप्पन घरे चलल । ओकरा घमंड भे गेल कि हमर रानी से बढ़के कोई दोसर सुन्नर न हे । राह में रजवा जाइत हल कि एगो बड़का गो नदी पड़ल । नाव पर ऊ पार हो गेल तो बड़ी जोर से आन्ही-बूनी आयल आउ नाव डूब गेल । पानी में राजा नदी के रानी के देखलक तो ओकरा देख के बेहोस हो गेल । कुछ देर के बाद होस आयल तो नदी के रानी भी ओकरा से परेम करे लगलक । राजा ओकरो से सादी कर के उहईं रहे लगल । ऊ रानी भी उहईं आ गेल । कुछ दिना के बाद राजा के अप्पन देस के इयाद आयल तो घरे चले ला कहलक । सब मिल के घरे चले लगलन तो नदी उनका एगो कंगना आउ मोर देलक । ओहनी सब मोर पर बइठलन आउ ऊ उड़के एहनी तीनों के रजवा के देस में पहुँचा देलक । इहाँ आन के राजा अप्पन तीनों रानी के साथ परेम से रहे लगल आउ बढ़िया से राज-पाट करे लगल ।
एगो पछिम देस के राजा हल । ओकरा बिआह हो गेल हल बाकि ओकर मन में एगो दूसर सुन्नर लड़की से बिआह करे के ललसा हल, से ऊधरे से निकल के ऊ पूरब देस में चल गेल । जाइते-जाइते एगो जंगल में पहुँचल आउ तपस्या करे लगल । पूजा करते-करते बड़ी दिन भे गेल तो ओकर पहिलकी मेहरारू एगो 'कउवा' के भेजलक, तो ऊ कउवा आन के कहलक कि तोर मेहरारू बिजोग में जर के मरल जाइत हथुन । तइयो ई बात सुन के राजा के मन न पसीजल आउ ऊ कहलक कि जब तक हमर दोसर बिआह न होयत तब तक हम कुछो न सुनव । ऊ पूजा करते-करते सूत गेल तो एक दिन ऊ देस के राजा के बेटी ओकरा भीरू आयल आउ राजा के उठावे लगल बाकि राजा न उठल तो ओकर चद्दर पर अपन हाल लिख के चल गेल । राजा उठल तो चद्दर पर के लिखल पढ़लक । पढ़ के ऊ बड़ी अफसोस में पड़ गेल आउ अप्पन सरीर के अपने तरवार से दू टुकड़ा कर लेलक । साँझ के महादे(व)-पारवती जी घूमे जाइत हलन । पार्वती जी ओकरा देख के कहलन कि ई तोरा बड़ी पूजा-पाठ करकवऽ हे । जब तक एकरा न झीअयवऽ तब तक हम आगे न जबवऽ । महादे(व) जी पारवती जी के बात सुन के राजा के धड़ के दूनो टुकड़ी के एक साथ जोड़ के अमरित छींट देलन आउ राजा जी गेल ।राजा उठ के ऊ लड़की के खोज में चलल । ऊ ऊहाँ के राजा के पास गेल आउ ऊ लड़की से सादी करे ला कहलक । राजा तइयार न भेल तो ई राजा लड़ाई करे ला तइयार हो गेल । दूनो राजा में लड़ाई होवे लगल । ई राजा तो अकेले हल । कइसे पार पावथ । से महादे(व) जी के सुमिरलक । महादे(व) जी भूत-परेत के साथे उहाँ आ गेलन । खूब लड़ाई भेल । अब तो ऊ राजा अप्पन लड़की से राजा के साथ बिआह कर देलक । सादी करके राजा रानी के साथ अप्पन घरे चलल । ओकरा घमंड भे गेल कि हमर रानी से बढ़के कोई दोसर सुन्नर न हे । राह में रजवा जाइत हल कि एगो बड़का गो नदी पड़ल । नाव पर ऊ पार हो गेल तो बड़ी जोर से आन्ही-बूनी आयल आउ नाव डूब गेल । पानी में राजा नदी के रानी के देखलक तो ओकरा देख के बेहोस हो गेल । कुछ देर के बाद होस आयल तो नदी के रानी भी ओकरा से परेम करे लगलक । राजा ओकरो से सादी कर के उहईं रहे लगल । ऊ रानी भी उहईं आ गेल । कुछ दिना के बाद राजा के अप्पन देस के इयाद आयल तो घरे चले ला कहलक । सब मिल के घरे चले लगलन तो नदी उनका एगो कंगना आउ मोर देलक । ओहनी सब मोर पर बइठलन आउ ऊ उड़के एहनी तीनों के रजवा के देस में पहुँचा देलक । इहाँ आन के राजा अप्पन तीनों रानी के साथ परेम से रहे लगल आउ बढ़िया से राज-पाट करे लगल ।
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