[ कहताहर - मानिकचंद राम, ग्राम - लभरी, पो॰ - रफीगंज, जिला - गया ]
कोई गाँव में एगो यादव के चार लइकन हलन । चारो के माय-बाप मर गेलन तो भाई लोग सोचलन अब बाहर चल के कमाय-खाय केचाहीं । तीन भाई के बिआह हो गेल हल बाकि छोटका कुँआरे हल । से तीनो बड़कन भाई अप्पन मेहरारू से समझा के कहलन कि हमनी परदेस, कमाय जाइत ही, तोहनी हमर छोटका भाई के आदर-सत्कार से रखिहँऽ । तीनो भउजाई देवर के बढ़िया से रखे लगलन । बाकि सब देवर से पूछथ कि तूँ हमर बहिन से सादी करबऽ हो ?" हाली-हाली ओकरा से पुछला पर छोटका भाई घर-दुआर छोड़ के बाहर जाय ला तैयार हो गेल तऽ भउजाई सब कहलन कि देखब न कि तू बेलमंती रानी से सादी करके लयबऽ ।
कोई गाँव में एगो यादव के चार लइकन हलन । चारो के माय-बाप मर गेलन तो भाई लोग सोचलन अब बाहर चल के कमाय-खाय केचाहीं । तीन भाई के बिआह हो गेल हल बाकि छोटका कुँआरे हल । से तीनो बड़कन भाई अप्पन मेहरारू से समझा के कहलन कि हमनी परदेस, कमाय जाइत ही, तोहनी हमर छोटका भाई के आदर-सत्कार से रखिहँऽ । तीनो भउजाई देवर के बढ़िया से रखे लगलन । बाकि सब देवर से पूछथ कि तूँ हमर बहिन से सादी करबऽ हो ?" हाली-हाली ओकरा से पुछला पर छोटका भाई घर-दुआर छोड़ के बाहर जाय ला तैयार हो गेल तऽ भउजाई सब कहलन कि देखब न कि तू बेलमंती रानी से सादी करके लयबऽ ।
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