[ कहताहर - पारसनाथ, ग्राम - तबकला, पो॰ - सकरी, जिला - जहानाबाद ]
एगो राजा हलन । उनका गाँव में एगो बाजार लगऽ हल । ऊ बाजार में जे सामान न बिके, साँझ के राजा आके ओकरा खरीद ले हल । एक दिन साँझ के राजा उहाँ खरीदे गेल तो देखलक कि एगो मुरगा एक आदमी के नऽ बिकल हे । राजा मुरगा के दाम पूछलन तो ओकर मालिक कहलक कि मुरगा के दाम मुरगे से पूछऽ । मुरगा से पुछला पर ऊ अप्पन दाम एक लाख बतौलक । राजा अनहोनी मुरगा समझ के ओकरा एक लाख दाम देके ले लेलक ।
एगो राजा हलन । उनका गाँव में एगो बाजार लगऽ हल । ऊ बाजार में जे सामान न बिके, साँझ के राजा आके ओकरा खरीद ले हल । एक दिन साँझ के राजा उहाँ खरीदे गेल तो देखलक कि एगो मुरगा एक आदमी के नऽ बिकल हे । राजा मुरगा के दाम पूछलन तो ओकर मालिक कहलक कि मुरगा के दाम मुरगे से पूछऽ । मुरगा से पुछला पर ऊ अप्पन दाम एक लाख बतौलक । राजा अनहोनी मुरगा समझ के ओकरा एक लाख दाम देके ले लेलक ।
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