Tuesday, February 12, 2008

1.38 तोतवा के बेटी आउ फूलकुमारी

[ कहताहर - सीताराम सिंह, ग्राम - सयालडीह, जिला - हजारीबाग ]

एगो राजा के एगो बेटा आउ एगो बेटी हल । बेटी के दूगो सखी हल । एगो दाई के बेटी आउ एगो तोतबा के बेटी । तीनो सखी रोज घूमे जा हलन । राजा के बेटी के गोड़ दुखा गेल तो बइठे कहलन । एकरे पर दाई के बेटी कहलन कि हमरा कोई सींक से मार दे तो खून बहे लगे । फिन तोतवा के बेटी कहलक कि हमरा फूल से मार दे तो खून फेंक देवे । राजा के बेटा सुनलन तो सोचलन कि एकर परचोबा लेवे के चाहीं कि कइसे फूल से खून बहऽ हे । से ऊ एक रोज तोतवा के बेटी से सादी करे ला जिद रोप देलन । माय तइयार न हलथिन । तइयो बेटा के अन्न-पानी छोड़ देला पर बिआह करा देलन । राजा के बेटा तोतवा के बेटी भिरु सूते गेलन तो पहिले कोड़ा मारलन बाकि एगो खून-वून न निकलल । ऊ रोज दू कोड़ा मारे लगलन । तोतवा के बेटी दुबरा के लरेठा भे गेल । सास पूछलकथिन तो पुतोह बहाना कर देलक । एक रोज ऊ छिप के देखलन तो बेटा पुतोह के कोड़ा से मारइत हे, से माय कहकथिन कि अब का तोरा फूलवा रानी से बिआह होतवऽ ? ई बात बेटा के लग गेल आउ ऊ कपड़ा पेन्ह के घोड़ा पर सवार होयलन आउ फुलवा रानी के खोज में निकललन ।


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