[ कहताहर - सामदेव सिंह, ग्राम - चौरी, जिला - औरंगाबाद ]
एगो राजा के चार बेटा हलन । ओहनी चारो भाई एक रोज जंगल में सिकर खेले गेलन । उहाँ ओहनी अप्पन-अप्पन तीर छोड़लन । तीन भाई के तीर एक दने गेल आउ छोटका के तीर दोसर दने चल गेल । सबहे अप्पन तीर के पता लगावे ला चललन । तीन भाई के तीर के पता तो चल गेल कि एगो राजा के तीन गो बेटी हथ, ओही ले ले हथ । राजकुमार ऊ राजा के पास जाके पूछलन कि अपने के बेटी हमनी के तीर ले ले हथ । ओही तीर ला हमनी अयली हे । राजा महल में पूछौलन तो पता चलल कि ठीक उनकर बेटी तीर ले ले हथ । बाकि ओहनी कहलन कि तीर तबे देम जब ओहनी हमनी से सादी कर लेतन । तीनो भाई अपने में राय-मसवरा करके बिआह लागी तइयार हो गेलन । चट मँड़वा, भतवान आउ विआह हो गेल ।
एगो राजा के चार बेटा हलन । ओहनी चारो भाई एक रोज जंगल में सिकर खेले गेलन । उहाँ ओहनी अप्पन-अप्पन तीर छोड़लन । तीन भाई के तीर एक दने गेल आउ छोटका के तीर दोसर दने चल गेल । सबहे अप्पन तीर के पता लगावे ला चललन । तीन भाई के तीर के पता तो चल गेल कि एगो राजा के तीन गो बेटी हथ, ओही ले ले हथ । राजकुमार ऊ राजा के पास जाके पूछलन कि अपने के बेटी हमनी के तीर ले ले हथ । ओही तीर ला हमनी अयली हे । राजा महल में पूछौलन तो पता चलल कि ठीक उनकर बेटी तीर ले ले हथ । बाकि ओहनी कहलन कि तीर तबे देम जब ओहनी हमनी से सादी कर लेतन । तीनो भाई अपने में राय-मसवरा करके बिआह लागी तइयार हो गेलन । चट मँड़वा, भतवान आउ विआह हो गेल ।
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