Monday, February 11, 2008

1.29 राजकुमार आउ मयनावती रानी

[ कहताहर - इन्द्रदेव सिंह, ग्राम - दनई, पो॰ - जाखिम, जिला - औरंगाबाद ]

मक्खन के दलदल आउ मक्खी के पहाड़ ।
मुरगी मार देलक लात, गिर गेल सहर गुजरात ।।

एगो कोई राजा हलन । राजा रोसगदी करा के जब अप्पन राजमहल में अयलन आउ महल में सूते लागी गेलन तो पलंग पर जइसहीं एक लात रखइत हथ कि रानी ठठा के हँस देलक । तुरत राजा अप्पन गोड़ पलंग से भुइयाँ पर रख देलन आउ रानी से पूछलन कि तूँ का बात ला हँसलऽ हे ? सेकर कारण बतलावऽ । रानी कहलक कि हम अइसहीं हँसली हेय, कुछो बात नऽ हे । राजा कहलन कि एमें जरूर कोई बात हे । रानी एकरे पर कहलक कि जा नऽ तोरा तो मयनावती से बिआह होइत हवऽ । एतना सुन के राजा तुरंत घोड़ा के अस्तबल में गेलन आउ खोल के घोड़ा पर सवार हो गेलन । उहवाँ से मयनावती रानी के खोजे ला चल देलन । कहलन कि जब तक हम मयनावती रानी से बिआह नऽ करब तब तक राज में नऽ लौटब ।


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