[ कहताहर - गोविंद प्रसाद, उम्र 35 वर्ष, ग्राम-पो॰ - मेढ़कूरी, जिला - नवादा ]
एगो ब्राह्मण हलै । ओकरा एके गो लड़का हलै । ऊ सब कुछ में तेज हलै बाकि गरीब ब्राह्मण होवे से पढ़ा-लिख नै सकऽ हलै । ओकर गाँव के लोग बड़ी कहलकै कि ये पंडी जी, तूँ अप्पन लड़कावा के पढ़ा देतो हल से तोहर लड़कावा पढ़े में बड़ी तेज हको । कुछ दिन के बाद ब्राह्मण एगो मास्टर से कहलकै कि ए गुरु जी, हम्मर लड़कावा के कोय तरह से पढ़ा देतो हल तऽ बड़ी अच्छा होते हल । तऽ गुरु जी पढ़ावे लगलथि । दुनों हमसे एके साथे खा हलथी, पीआ हलथी आउ रहऽ हलथी । कुछ दिन के बाद एक रात में लड़कावा एगो सपना देखलकै लि दूगो लड़की हमरा नेहावऽ है आव एगो पानी भर रहलै है । फिर निन्दिया टूट गेलै । तब ऊ हँसे लगलै । एकरा बाद काने लगलै । तब गुरु जी एकर कारन पूछे ला चाहलथी । लेकिन सोचलथी कि अभी रात हे से भोरे पूछवै । जब भोर भेलै तब नस्ता-पानी करे के बाद गुरु जी पूछे लगलथी कि आज रात में तूँ हँसे लगलहीं आउ फीन काने काहे लगलहीं । तब लड़कावा कुछ नै बोललै । काहे से कि गुरु जी के भी दूगो लड़की हलै आउ अपना अउरत हलै । एही से केतनो पूछलकथिन बाकि नै कहलकै । अन्त में गुरु जी मारे ले दउड़लथी । तब ऊ लड़कावा भागे लगलै । भागते-भागते एगो राजा मिललै ओकरा से सब हाल कह देलकै । राजा के दया आ गेलै । तब ओकरा लेके राजा घर चल गेलै । कुछ दिन के बाद सब बात जान गेलै आउ लइकवा से पूछे लगलै कि तहिना तूँ सपना में की देखलहीं हल ? कि तोरा गुरु जी पूछलकौ हल तो नै बतौलहीं हल, से ऊ मारे लगलौ बाकि ऊ राजा के भी नै बतौलकै । काहे कि राजा के भी दूगो बेटी हले आउ अपना अउरत हलै । एही से राजा भी केतनो पूछलकै बाकि नै कहलकै । से खिसिया के राजा अप्पन जल्लाद से कहलकै कि जाव एकर करेजा काढ़ के लेले आवऽ । जब ऊ लड़कावा के ले जाय लगलै तब रानी कहलकै कि ए जल्लाद, तोरा हम दू हजार रोपैया दे हियौ से तूँ ई लड़कावा के हमरा दे दे आउ बानर के करेजा लान के राजा के दे दे । जल्लाद ऊ लड़कावा के दे देलकै आउ दू हजार रोपैया ले लेलकै आउ बानर के करेजा लाके राजा के दे देलकै । ऊ रानी के यहाँ छिप के रहे लगलै ।
एगो ब्राह्मण हलै । ओकरा एके गो लड़का हलै । ऊ सब कुछ में तेज हलै बाकि गरीब ब्राह्मण होवे से पढ़ा-लिख नै सकऽ हलै । ओकर गाँव के लोग बड़ी कहलकै कि ये पंडी जी, तूँ अप्पन लड़कावा के पढ़ा देतो हल से तोहर लड़कावा पढ़े में बड़ी तेज हको । कुछ दिन के बाद ब्राह्मण एगो मास्टर से कहलकै कि ए गुरु जी, हम्मर लड़कावा के कोय तरह से पढ़ा देतो हल तऽ बड़ी अच्छा होते हल । तऽ गुरु जी पढ़ावे लगलथि । दुनों हमसे एके साथे खा हलथी, पीआ हलथी आउ रहऽ हलथी । कुछ दिन के बाद एक रात में लड़कावा एगो सपना देखलकै लि दूगो लड़की हमरा नेहावऽ है आव एगो पानी भर रहलै है । फिर निन्दिया टूट गेलै । तब ऊ हँसे लगलै । एकरा बाद काने लगलै । तब गुरु जी एकर कारन पूछे ला चाहलथी । लेकिन सोचलथी कि अभी रात हे से भोरे पूछवै । जब भोर भेलै तब नस्ता-पानी करे के बाद गुरु जी पूछे लगलथी कि आज रात में तूँ हँसे लगलहीं आउ फीन काने काहे लगलहीं । तब लड़कावा कुछ नै बोललै । काहे से कि गुरु जी के भी दूगो लड़की हलै आउ अपना अउरत हलै । एही से केतनो पूछलकथिन बाकि नै कहलकै । अन्त में गुरु जी मारे ले दउड़लथी । तब ऊ लड़कावा भागे लगलै । भागते-भागते एगो राजा मिललै ओकरा से सब हाल कह देलकै । राजा के दया आ गेलै । तब ओकरा लेके राजा घर चल गेलै । कुछ दिन के बाद सब बात जान गेलै आउ लइकवा से पूछे लगलै कि तहिना तूँ सपना में की देखलहीं हल ? कि तोरा गुरु जी पूछलकौ हल तो नै बतौलहीं हल, से ऊ मारे लगलौ बाकि ऊ राजा के भी नै बतौलकै । काहे कि राजा के भी दूगो बेटी हले आउ अपना अउरत हलै । एही से राजा भी केतनो पूछलकै बाकि नै कहलकै । से खिसिया के राजा अप्पन जल्लाद से कहलकै कि जाव एकर करेजा काढ़ के लेले आवऽ । जब ऊ लड़कावा के ले जाय लगलै तब रानी कहलकै कि ए जल्लाद, तोरा हम दू हजार रोपैया दे हियौ से तूँ ई लड़कावा के हमरा दे दे आउ बानर के करेजा लान के राजा के दे दे । जल्लाद ऊ लड़कावा के दे देलकै आउ दू हजार रोपैया ले लेलकै आउ बानर के करेजा लाके राजा के दे देलकै । ऊ रानी के यहाँ छिप के रहे लगलै ।
ओही समय में एगो राजा दूसर राजा के परीक्षा करऽ हलै । तो एक दिन ऊ राजा से चिट्ठी अयलै । ओकरा साथ दू गो घोड़ी भी हलै । चिट्ठीया में लिखल हलै कि ई दूनों घोड़ी में कउन माय है आउ कौन बेटी हे । अगर तूँ नै पहचनवै तो हम तोहर राज ले लेवौ आउ अगर पहचान जयवै तो हम्मर राज तूँ ले लिहैं । राजा के भारी फिकिर पड़लै । राजा सब हाल रानी के कह देलकै । तब रानी भी उदास रहे लगलै । रानी के उदास देख के लड़कावा पूछलकै । पूछला पर सब हाल मालुम होलै । तब लड़कावा कहलकै कि हम पहचान जैवे । दूसर दिन रानी कहलकै कि ए राजा, से एगो लड़का है, से कहऽ है कि हम पहचान जयवै । से जी-जान ओकर बकस देहौ तब हम बोलयवो । राजा कहलकै कि जाव सो ले आवऽ । रानी ऊ लड़कावा के ले लैकै । लड़कावा राजा से कहलकै कि एक सड़क पर ढेर सान कूड़ा-करकट जमा कर के जरवा देहै । राजा सब कुछ कर देलकै । तब दूनो घोड़िया के मँगावल गेलै । दूगो घुड़सवार दुनू पर सवार हो गेलै आउ कूड़ा-करकट के ढेरवा से टपावे लगलै । एगो टाप गेलै से माँ हलै आउ एगो नऽ टपलै से बेटी हलै । राजा एगो कागज में 'माँ-बेटी' लिख केगियरिया में बाँध देलकै । घोड़ी के छोड़ देलकै । दूसर राजा अप्पन राज के हार गेलै । ऊ राजा के एके गो बेटी हलै से ऊ ई राजा के पास चिट्ठी लिखलकै कि अप्पन बेटा से हम्मर बेटी के सादी कर लऽ । बड़ी धूम-धाम के साथ दूनो के सादी भे गेल । ऊ लड़कावा अपना ससुर के इहाँ रहे लगल आउ उहाँ के राज-पाट करे लगल । अब ऊ अप्पन पिता के भी बोला लेलकै आउ हराम से रहे लगलै । बुद्धि से का नऽ हो जा सकऽ है ।
No comments:
Post a Comment