Friday, March 7, 2008

4.18 पंडित जी आउ पंडिताइन

[ कहताहर - भूपेन्द नाथ, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद ]

एक गाँव में एगो पंडित जी आउ उनकर जनाना रहऽ हलन । उनका नऽ कोई बाले हल नऽ कोई बच्चे हल । ऊ दिन माँगऽ हलन तो रात खा हलन, आउ रात माँगऽ हलन तो दिन खा हलन । माने कि उनकर जीवन माँगइत-खाइत बीत रहल हल । पंडिताइन जी के इच्छा एक दिन पूआ खाय के भेल । पंडित जी पूआ के सरंजाम जुटवलन । जजमान ही से दूध-गुड़ आउ आटा माँग लौलन । पंडिताइन जी ोकरा सान-ऊन के पूआ छानलन । पूआ नौ गो तइयार भेल । पंडित जी के खाय के इच्छा भेल । पंडित जी आउ पंडिताइन जी सभे पूआ के कठौत में लेके खाय ला बइठ गेलन । तब पंडी जी कहथ कि हम जादे मेहनत कइली हे, से हम पाँच पूआ खायम । पंडिताइन जी कहलन कि हम सानली-बनवली हे, से हमहीं पाँच पूआ खायम । पाँचे पूआ ला दूनों लड़े लगलन । तऽ विचार कयलन कि दूनो के सत रहे के चाही, जे पीछे उठत ओही पाँच पूआ खायत । एही निश्चय करके दूनो सूत गेलन । बिहान भेल तइयो दूनो में कोई नऽ उठथ ।

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