[ कहताहर - जगदीश प्रजापति, मो॰ - कचनामा, पो॰ - रामपुर, जिला - गया]
एगो सहर में एगो राजा आउ ओकर वजीर रहऽ हलन । राजा वजीर के बड़ी मानऽ हलन । साइत के बात हे कि दूनो के एके समय में बेटा जलम लेलक । राजा के दुख होयल कि हमरे साथे वजीरो के काहे बेटा जलम लेलक । से ओकरा मँगा के मरवा देलक । ओकरा बाद वजीर के जब-जब बेटा होवे तब-तब रजवा मरवा देवे । वजीर के अउरत एक दफे नइहर चल गेलन तो उहईं एगो बेटा जलम लेलक । एकरा न तो राजा जनलन आउ न वजीरे जनलन । ऊ लड़का मामुए ही रह के पोसाय लगल आउ बड़ा बुधगर निकलल ।
एगो सहर में एगो राजा आउ ओकर वजीर रहऽ हलन । राजा वजीर के बड़ी मानऽ हलन । साइत के बात हे कि दूनो के एके समय में बेटा जलम लेलक । राजा के दुख होयल कि हमरे साथे वजीरो के काहे बेटा जलम लेलक । से ओकरा मँगा के मरवा देलक । ओकरा बाद वजीर के जब-जब बेटा होवे तब-तब रजवा मरवा देवे । वजीर के अउरत एक दफे नइहर चल गेलन तो उहईं एगो बेटा जलम लेलक । एकरा न तो राजा जनलन आउ न वजीरे जनलन । ऊ लड़का मामुए ही रह के पोसाय लगल आउ बड़ा बुधगर निकलल ।
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