[कहताहर - रामचन्द्र मिस्त्री, स॰शि॰, मो॰-पो॰ - सोननगर, जिला - औरंगाबाद]
सात समुन्दर गंडक पार एगो मधुआ के गाँव हल, जेकरा में भोला नाम के मछुआरा रहऽ हल । ऊ समुन्दर से मछरी मार के खा-पीआऽ हल । कभी-कभी मोती भी मिल जाय तो ऊ काली माई के वरदान समझऽ हल । भोला बूढ़ा भेल तो तीरथ करे जाय लगल बाकि ओकर बेटा रोक देलकइन । एक तुरी बेटा समुन्दर में गोता लगौलक तो ऊ फिन कहिनो नऽ निकलल । भोला रो-धो के संतोख कैलक । कुछ दिन के बाद ओकर मसोमार पुतोह से एगो पोती भेलई आउ पुतहियो मर गेलई । भोला बेचारा टुअर पोती के पोसे-पाले लगल । नाव पर ले जा के पोती के सुता देवे आउ अपने समुन्दर में डुबकी लगा के मछरी-मोती निकाले । ई तरी गते-गते पोती कुछ सेयान भेलई तो ऊ दादा के काम में मदद करे लगल । अइसेहीं काम चलइत हल ।
सात समुन्दर गंडक पार एगो मधुआ के गाँव हल, जेकरा में भोला नाम के मछुआरा रहऽ हल । ऊ समुन्दर से मछरी मार के खा-पीआऽ हल । कभी-कभी मोती भी मिल जाय तो ऊ काली माई के वरदान समझऽ हल । भोला बूढ़ा भेल तो तीरथ करे जाय लगल बाकि ओकर बेटा रोक देलकइन । एक तुरी बेटा समुन्दर में गोता लगौलक तो ऊ फिन कहिनो नऽ निकलल । भोला रो-धो के संतोख कैलक । कुछ दिन के बाद ओकर मसोमार पुतोह से एगो पोती भेलई आउ पुतहियो मर गेलई । भोला बेचारा टुअर पोती के पोसे-पाले लगल । नाव पर ले जा के पोती के सुता देवे आउ अपने समुन्दर में डुबकी लगा के मछरी-मोती निकाले । ई तरी गते-गते पोती कुछ सेयान भेलई तो ऊ दादा के काम में मदद करे लगल । अइसेहीं काम चलइत हल ।
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