[ कहताहर - देवनारायण मेहता, मो॰-पो॰ - चौरी, जिला - औरगाबाद]
एगो गुरु जी लड़कन के पढ़ावऽ हलथिन । ओकरा में एगो बड़ा भोला लड़का हल । गुरु जी ओकरा एक दिन पीटइत हलथिन आउ बोल रहलथिन हल कि "अरे गदहा, तोरा तो हम पढ़ाते-पढ़ाते अदमी बना देलिअउ तौ भी तूँ कुछ खेयाल नऽ करे हें ।" ई बात एगो निसंतान धोबी सुनलक आउ गुरु जी भी जा के कहलक कि हमरा कोई लइका-फइका नऽ हे । हम्मर गदहवा के तू अदमी बना दऽ । गुरु जी कहलन कि "एक हजार रोपेया लगतो, जा के ओके ऊ खुटवा में बान्ह दे । भादों तक हम एकरा पढ़ा के अदमी बना देबउ । भादों के पुनिया तक तो जरूर ले जइहें । नऽ तो हम एकरा अप्पन स्कूल से निकाल देवउ ।"
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एगो गुरु जी लड़कन के पढ़ावऽ हलथिन । ओकरा में एगो बड़ा भोला लड़का हल । गुरु जी ओकरा एक दिन पीटइत हलथिन आउ बोल रहलथिन हल कि "अरे गदहा, तोरा तो हम पढ़ाते-पढ़ाते अदमी बना देलिअउ तौ भी तूँ कुछ खेयाल नऽ करे हें ।" ई बात एगो निसंतान धोबी सुनलक आउ गुरु जी भी जा के कहलक कि हमरा कोई लइका-फइका नऽ हे । हम्मर गदहवा के तू अदमी बना दऽ । गुरु जी कहलन कि "एक हजार रोपेया लगतो, जा के ओके ऊ खुटवा में बान्ह दे । भादों तक हम एकरा पढ़ा के अदमी बना देबउ । भादों के पुनिया तक तो जरूर ले जइहें । नऽ तो हम एकरा अप्पन स्कूल से निकाल देवउ ।"
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