Wednesday, March 26, 2008

8.10 लाल बुझक्कड़

[ कहताहर - रामसेवक, मो॰-पो॰ - कुनापी, जिला - गया]

चार गो साथी हलन । एक दिन बतिअयलन कि हमनी के कहीं घूमे के चाहीं । सड़क पर जाइत हलन तो ओकरा पर गोड़ के चिन्हा देखलन । ऊ में से एगो कहलन कि इयार, एगो अउरत गेलवऽ हे । दूसरका बोलल कि ऊ अउरत गर्भिनी हल । तीसरका कहलक कि ऊ भाग के गेल हे । चउथक कहलक क ऊ उत्तर तरफ गेल हे । आगे बढ़लन तो फिनो एक साथी बोलल कि इयार, ई राह से एगो ऊँट गेल हे । दोसरका बोलल कि ओकरा पर कुछ लादल हे । तीसरका बोलल कि ऊपर कुछ लादल तो हे बाकि सवार नऽ हे । चउथक का बोलल कि ऊ ऊँट एक आँख के कान हे । तब तक औरत वाला आउ ऊँट वाला खोजइत ओहनी के पास पहुँचलन । ओहनी सब बात सुन लेलन आउ कहलन कि तोहनी चोर मालूम पड़इत हें काहे से कि सब बात बता देइत हें ।

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