[ कहताहर - देवनन्दन सिंह, मो॰ - चिलोरी, पो॰ - मखदुमपुर, जिला - गया]
एगो साधु हलन । ऊ ठाकुर जी के रोज नया फल से भोग लगावऽ हलन । एक दिन के बात हे कि साधु जी नया फल खोजइत-खोजइत थक गेलन बाकि ऊ न मिलल । आखिर में एगो खेत में देखलन कि गदरायल गोहुम हे । गोहुम के खेत में लठवाहा लाठा चलावइत हले । से साधु जी सोचलन कि इहईं नेहा लीं आउ दू बाल तोड़ लीं काहे कि ई भी तो नये फल हे । से साधु जी ओहिजे नेहा-फीच के गोहुम के दूगो बाल तोड़लन आउ जाके ठाकुर जी के भोग लगा देलन ।
एगो साधु हलन । ऊ ठाकुर जी के रोज नया फल से भोग लगावऽ हलन । एक दिन के बात हे कि साधु जी नया फल खोजइत-खोजइत थक गेलन बाकि ऊ न मिलल । आखिर में एगो खेत में देखलन कि गदरायल गोहुम हे । गोहुम के खेत में लठवाहा लाठा चलावइत हले । से साधु जी सोचलन कि इहईं नेहा लीं आउ दू बाल तोड़ लीं काहे कि ई भी तो नये फल हे । से साधु जी ओहिजे नेहा-फीच के गोहुम के दूगो बाल तोड़लन आउ जाके ठाकुर जी के भोग लगा देलन ।
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