[ कहताहर - द्वारिका प्रसाद सिंह, ग्राम - जईबिगहा, पो॰ - मखदुमपुर, जिला - जहानाबाद]
एगो गाँव में साँचू आउ पाँचू नाम के दूगो भाई हलन । साँचू बड़ आउ पाँचू छोट हल । साँचू लइकाइये से पढ़े में मेहनती आउ काम में ध्यान दे हल । बाकि पाँचू छोटही से खेलाड़ी आउ पढ़े में ध्यान न दे हल, जेकरा से ऊ बेकूफ रह गेल बाकि खेती के काम में खूब मन लगावऽ हल । सेयान होयला पर पाँचू खेती के काम करे लगल आउ साँचू बाहर के अकिलगर काम करे लगल । साँचू बाहर काम से जाय तो धोती, कुर्ता, टोपी पेन्ह ले । ऊ सबेरे भोजन कर ले हल । पाँू खेत के काम में लगल रहे तो ओकर सतुओ पर गुजारा करे पड़े । साँचू केर धोती, कुर्ता आउ गमछी बहुत रहे । ई सब देख के पाँचू के अउरत बड़ी कुढ़े । सोचे कि हमर मरदनवाँ दिन भर हाड़ तोड़ के कमा हे, आउ खाहु के ठेकाना नऽ रहे हे । बड़का भाई दिन भर एन्ने-ओन्ने रहऽ हे तइयो बढ़िया-बढ़िया पेन्हऽ हे आउ खा हे । पाँचू के मेहरारू पाँचू के खूब बहकौलक - "तूहीं काहे नऽ बाहर के काम करऽ हऽ ? तोहरे का सब काम करे के ठीका हवऽ ?" पाँचू के भी ई बात ठीक बुझायल ।
एगो गाँव में साँचू आउ पाँचू नाम के दूगो भाई हलन । साँचू बड़ आउ पाँचू छोट हल । साँचू लइकाइये से पढ़े में मेहनती आउ काम में ध्यान दे हल । बाकि पाँचू छोटही से खेलाड़ी आउ पढ़े में ध्यान न दे हल, जेकरा से ऊ बेकूफ रह गेल बाकि खेती के काम में खूब मन लगावऽ हल । सेयान होयला पर पाँचू खेती के काम करे लगल आउ साँचू बाहर के अकिलगर काम करे लगल । साँचू बाहर काम से जाय तो धोती, कुर्ता, टोपी पेन्ह ले । ऊ सबेरे भोजन कर ले हल । पाँू खेत के काम में लगल रहे तो ओकर सतुओ पर गुजारा करे पड़े । साँचू केर धोती, कुर्ता आउ गमछी बहुत रहे । ई सब देख के पाँचू के अउरत बड़ी कुढ़े । सोचे कि हमर मरदनवाँ दिन भर हाड़ तोड़ के कमा हे, आउ खाहु के ठेकाना नऽ रहे हे । बड़का भाई दिन भर एन्ने-ओन्ने रहऽ हे तइयो बढ़िया-बढ़िया पेन्हऽ हे आउ खा हे । पाँचू के मेहरारू पाँचू के खूब बहकौलक - "तूहीं काहे नऽ बाहर के काम करऽ हऽ ? तोहरे का सब काम करे के ठीका हवऽ ?" पाँचू के भी ई बात ठीक बुझायल ।
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