[कहताहर - पारस सिंह, मो॰पो॰ - तबकला, जिला - जहानाबाद]
एक बार सरसती आउ लछमी अपने में बहस कैलन कि हमनी में कउन बड़ हे ? जे बड़ होयत से सोना के कुरसी पर बइठत आउ जे छोट होयत से चाँदी के कुरसी पर बइठत । दूनो एक-दूसर के परीक्षा लेवे ला पहिले कहलन तऽ कोई तइयार नऽ होवे । अंत में लछमी जी पहिले परीक्षा लेवे ला तइयार होयलन ।
एक बार सरसती आउ लछमी अपने में बहस कैलन कि हमनी में कउन बड़ हे ? जे बड़ होयत से सोना के कुरसी पर बइठत आउ जे छोट होयत से चाँदी के कुरसी पर बइठत । दूनो एक-दूसर के परीक्षा लेवे ला पहिले कहलन तऽ कोई तइयार नऽ होवे । अंत में लछमी जी पहिले परीक्षा लेवे ला तइयार होयलन ।
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