[ कहताहर - लालमनी कुमारी, मो॰-पो॰ - गया, जिला - गया]
एगो बेंग हल । एक समै ऊ रस्ता में कूदइत जाइत हल । ओही राह से एगो बड़का ााँढ़ जाइत हल । सँढ़वा के लाती बेंगवा पर पड़ गेलई तऽ ओकर पेट फट गेलई । ओकर पेट में से पाँच चीज निकलल - एगो बैल, एगो तेली, एगो बाघ, एगो बटेर आउ एगो सुअर । बटेर अपन चिरई के झुंड में चल गेल । सुअर अप्पन जमात में चल गेल । बाघ जंगल में चल गेल बाकि तेलिया आउ बैला बच गेल । से बैला कहकई तेलिया से कि "हमनी दूनों मिल के कमा-खा सकऽ ही । से तू एगो कोल्हू ले आवऽ, राजा से जमीन माँग के उहईं गाड़ दऽ । तेल पेर के बेचऽ, हमरो खिआवऽ आउ तूहूँ खा ।" तेलिया एही कयलक । ऊ रोज कमाय-खाय लगल । कुछ दिना के बाद तेलिया सादी कर लेलक । तब राजा के सिपाही के ओकर मेहररुआ पर लोभ समा गेल । सिपहिया सोचलक कि कइसे तेलिया के मार दीं आउ तेलिनिया के रख लीहीं । सिपहिया के कुछ उपाय न सूझल तो राजा से जा के कहलक कि "राजा साहब, तेलिया के एक सौ मन धान दीहीं जे आठ दिन में कूट के लौटा दे न तो खादे-भूसे भरवा दीहीं ।" राजा साहेब तेलिया के बोलावे ला चौकीदार भेजलन । चौकीदार के बात सुन के तेलिया राजा साहेब के पास दउड़ल गेल । उहाँ राजा कहलन कि "तोरा आठ दिन में एक सौ मन धान कूटे ला हवऽ । न कूटब त खादे-भूसे भर देल जयब । तेलिया घरे आन के अप्पन अउरतिया के कहलक ।ऊ बतवकई कि तू बटेरवा भइया के पास जा के पूछ । ऊ उपाय बता देतवऽ । तेलिया बटेरवा भइया भिर गेल आउ अप्पन सब हाल कहलक । बटेर कहलक कि "तू सब धान ला के कहीं मैदान में रखऽ कल्ह । हमनी सब आयब !" तेलिया आ के राजा किहाँ से सब धान ला के मैदान में रखलक । सुबह में झुंड-के-झुंड बटेर अयलन आउ घंटा भर में सब धान फोर के उड़ गेलन । तेलिया सब धान ओसा देलक । भूसा अप्पन घरे ठोक के राजा से कहलक कि चाउर सब ढोआ लीहीं । राजा आउ सिपाही तज्जुब खाय लगलन । इहाँ आन के देखलन तो चाउर तइयार हल । राजा घरे चाउर ढोवा लेलन । फिन सिपहियन सोचलन कि अब एकरा से कइसे बदला लेल जाय । राजा से जा के कहलन कि "अस्सी बिगहा के पोखरा आठ दिन में बन्हवाऊ । जेकरा में भूर-कबार पानी रहे ।" राजा साहेब तेलिया के बोला के अपन हुकुम सुनौलन । तेलिया सुन के घर आयल आउ अउरतिया से कहलक । ऊ कहकई कि तू अपन सुअरिया भइया भिर जा । तेलिया सुअर के झुंड में गेल आउ अपन भाई से राजा के हुकुम कह सुनौलक । सुअरिया कहकई कि घबड़ा मत, आज रात में पोखरा तइयार हो जतवऽ । तेलिया घरे आयल तो रात में अनगिनत सुअर आन के पोखरा खान देलन आउ चल गेलन । तेलिया पोखरा खनल देख के राजा के जा सुनौलक आउ राजा देख के चकित रह गेल ।
एगो बेंग हल । एक समै ऊ रस्ता में कूदइत जाइत हल । ओही राह से एगो बड़का ााँढ़ जाइत हल । सँढ़वा के लाती बेंगवा पर पड़ गेलई तऽ ओकर पेट फट गेलई । ओकर पेट में से पाँच चीज निकलल - एगो बैल, एगो तेली, एगो बाघ, एगो बटेर आउ एगो सुअर । बटेर अपन चिरई के झुंड में चल गेल । सुअर अप्पन जमात में चल गेल । बाघ जंगल में चल गेल बाकि तेलिया आउ बैला बच गेल । से बैला कहकई तेलिया से कि "हमनी दूनों मिल के कमा-खा सकऽ ही । से तू एगो कोल्हू ले आवऽ, राजा से जमीन माँग के उहईं गाड़ दऽ । तेल पेर के बेचऽ, हमरो खिआवऽ आउ तूहूँ खा ।" तेलिया एही कयलक । ऊ रोज कमाय-खाय लगल । कुछ दिना के बाद तेलिया सादी कर लेलक । तब राजा के सिपाही के ओकर मेहररुआ पर लोभ समा गेल । सिपहिया सोचलक कि कइसे तेलिया के मार दीं आउ तेलिनिया के रख लीहीं । सिपहिया के कुछ उपाय न सूझल तो राजा से जा के कहलक कि "राजा साहब, तेलिया के एक सौ मन धान दीहीं जे आठ दिन में कूट के लौटा दे न तो खादे-भूसे भरवा दीहीं ।" राजा साहेब तेलिया के बोलावे ला चौकीदार भेजलन । चौकीदार के बात सुन के तेलिया राजा साहेब के पास दउड़ल गेल । उहाँ राजा कहलन कि "तोरा आठ दिन में एक सौ मन धान कूटे ला हवऽ । न कूटब त खादे-भूसे भर देल जयब । तेलिया घरे आन के अप्पन अउरतिया के कहलक ।ऊ बतवकई कि तू बटेरवा भइया के पास जा के पूछ । ऊ उपाय बता देतवऽ । तेलिया बटेरवा भइया भिर गेल आउ अप्पन सब हाल कहलक । बटेर कहलक कि "तू सब धान ला के कहीं मैदान में रखऽ कल्ह । हमनी सब आयब !" तेलिया आ के राजा किहाँ से सब धान ला के मैदान में रखलक । सुबह में झुंड-के-झुंड बटेर अयलन आउ घंटा भर में सब धान फोर के उड़ गेलन । तेलिया सब धान ओसा देलक । भूसा अप्पन घरे ठोक के राजा से कहलक कि चाउर सब ढोआ लीहीं । राजा आउ सिपाही तज्जुब खाय लगलन । इहाँ आन के देखलन तो चाउर तइयार हल । राजा घरे चाउर ढोवा लेलन । फिन सिपहियन सोचलन कि अब एकरा से कइसे बदला लेल जाय । राजा से जा के कहलन कि "अस्सी बिगहा के पोखरा आठ दिन में बन्हवाऊ । जेकरा में भूर-कबार पानी रहे ।" राजा साहेब तेलिया के बोला के अपन हुकुम सुनौलन । तेलिया सुन के घर आयल आउ अउरतिया से कहलक । ऊ कहकई कि तू अपन सुअरिया भइया भिर जा । तेलिया सुअर के झुंड में गेल आउ अपन भाई से राजा के हुकुम कह सुनौलक । सुअरिया कहकई कि घबड़ा मत, आज रात में पोखरा तइयार हो जतवऽ । तेलिया घरे आयल तो रात में अनगिनत सुअर आन के पोखरा खान देलन आउ चल गेलन । तेलिया पोखरा खनल देख के राजा के जा सुनौलक आउ राजा देख के चकित रह गेल ।
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