Saturday, March 15, 2008

5.24 भगमान जे करऽ हथिन से भले करऽ हथिन

[ कहताहर - श्री रामगति शाह, मो॰ - चुटकिया बाजार, पो॰ - माधव मिल, पटना सिटी]

एगो राजा हलथिन । उनकर एगो वजीर हलथिन । दूनों में बड़ी परेम हलई । दूनों एक दूसरा के बिन न रह सकऽ हलथिन । वजीर जी के एगो तकियाकलाम हलइ - "भगमान जे करऽ हथिन से भले करऽ हथिन ।" कभियो और कहियो कुच्छो घटित हो जाय, वजीर हरमेशा एही कहबे करऽ हलथिन । सुख के बात घटला पर तऽ ई बात कोई के भी भला लग सकऽ हे बाकि दुख के बात घटला पर कोई अइसन कहे तऽ बुरा भी लग सकऽ हे ।


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