Monday, March 24, 2008

7.18 काना बेटा

[ कहताहर - उपेन्द्रनाथ वर्मा, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एगो राजा के सात गो बेटा हलन । जब ओहनी पढ़-लिख के तइयार होलन तऽ नोकरी के खोज में निकललन । सबसे छोटा बेटा काना हल । ऊ आसानी से कोई के फेरा में नऽ पड़ऽ हल । जाइते-जाइते ओहनी एगो सुन्नर महल देखलन । भइवन के लालच समा गेल कि ई बाहर से तो एतना चमकइत हे, भीतरे एकरा में का नऽ का भरल होयत । से ओहनी ओकरा में सेन्ह मारे लगलन तो भीती गिर गेल आउ ओकरा तर दूगो चता के मर गेलन । फिनो आगे बढ़लन तो ओहनी एगो नदी देखलन । ओकरा में एगो बड़ी सुन्नर लड़की दहल चलल आवइत हल । ओकरा देख के दू भाई तो छाने ला चभाक-चभाक नदी में कूद गेलन, बाकि पैरे नऽ आवऽ हल से ओकरे में डूब मर गेलन । तीन भाई आगे बढ़लन तो दूगो भैंसा लड़इत हल । भैंसवा अइसन खदेरलक कि दू भाई तो ओकर चपेट में आ गेलन आउ ओहिजे मर गेलन । एगो काना बेटा बचल आउ लौट के घरे आ गेल ।

काना बेटा के घरे अयला पर राजा पूछलन - "कहऽ बेटा, दुनियाँ के रीती" - तो बेटा कहलक कि "दूगो मर गेलथुन चपा के भीती ।" बाप अफसोस में हो गेल आउ बोलल कि "आहा !" काना बेटवा जवाब देलक कि "दूगो नदी में गेलन दहा ।" राजा सोचलक कि मजाक करइत हे से ओहू कहलक कि "ऐसा ?" तऽ काना फिनो कहलक कि "दूगो के मारलक भैंसा ।" ई पर राजा बोललन कि "सच्चे !" तो काना बेटवा झट से जवाब देलक कि "हमहीं तो एगो काना बच्चे ।" राजा काना के जवाब सुन के चुप हो गेलन आउ दंग रह गेलन कि कइसन ई नालायक बेटा जनम लेलक हे । ठीके कहल गेल हे कि "अन्हरा, लँगड़ा, काना, विरले भलमानुस जाना ।"

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