[ कहताहर - जेठन महतो, मो॰ - अकलबिगहा, पो॰ - बेलागंज, जिला - गया]
एगो बकरी आउ कुत्ती में इयारी हले । दूनो एके जगुन रहऽ हलन । कुछ दिन के बाद कुतिया के दूगो बच्चा पैदा भेलई । बचवा के जनमते कुतिया बेचारी मर गेल । अब बकरिया बेचारी बचवा के पाले-पोसे लगल । दिनभर बकरिया जंगल में चरे आउ साँझ के आन के दूनो बचवन के दूध पिआवे । ई तरह से जब कुछ दिन बीत गेल तऽ एक दिन सब सिआर मिल के सोचलन कि ए भाई, हमनी मिल के बकरिया के मार देई तऽ सब के एक दिन बढ़िया भोज हो जाय ! ई बात सुन के सब सियार तइयार हो गेलन ।
एगो बकरी आउ कुत्ती में इयारी हले । दूनो एके जगुन रहऽ हलन । कुछ दिन के बाद कुतिया के दूगो बच्चा पैदा भेलई । बचवा के जनमते कुतिया बेचारी मर गेल । अब बकरिया बेचारी बचवा के पाले-पोसे लगल । दिनभर बकरिया जंगल में चरे आउ साँझ के आन के दूनो बचवन के दूध पिआवे । ई तरह से जब कुछ दिन बीत गेल तऽ एक दिन सब सिआर मिल के सोचलन कि ए भाई, हमनी मिल के बकरिया के मार देई तऽ सब के एक दिन बढ़िया भोज हो जाय ! ई बात सुन के सब सियार तइयार हो गेलन ।
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