[ कहताहर - सुरेन्दर प्रसाद, ग्राम - चिलोरी, पो॰ - मखदुमपुर, जिला - जहानाबाद]
एगो खरहा आउ ऊँट हल । ओहनी दूनो इयारी लगौलन । एक दिन ऊँट मन में सोचलक कि आज इयार से बाजी लगाऊँ । ऊँट खरहा से पूछलक कि "इयार एगो भर छाती के देवाल हे । ओकरा कउन पहिले तड़पऽ हे । ऊँटवा सोचलक हल कि "हम तो तड़प जायब, ई सार तनियक गो जीव का तड़पत ? से दूनो छड़पे लगलन । ऊँट तो देवाल पर टँग गेल आउ खरहा पार हो गेल । से खरहवा से ऊँटवा कहलक कि हमरा कइसहूँ निकालऽ । खरहवा देवाल पर चढ़ के कभी ऊँट से मूँड़ी दने, कभी पीठ दने दोमचे । एतने में एगो बाघ आवइत हल । बाघ खरहा के देख के खड़ा हो गेल आउ सोचलक कि एतना बड़ा जानवर ऊँट के तो ई खरहवा तबाह कयले हे । ऊँटवा के मूँड़ी आउ देह ओर चले हे । हमरा देखत तो आउ तबाह कर देत । हम तो ऊँटवा से छोटे ही । ई सोच के बघवा उहाँ से भागल, तो खरहवा पाछे से रगेदलक । बघवा भागल जाइत हल आउ खरहवा खदेरले जाइत हल । बेलदार उहाँ माँटी कोड़इत हल से बेलदरवा चपड़ा के बेंट से अइसन मारलक कि खरहवा के कनचपड़ा में लागल । बस, खरहवा तो ओही जगह मर गेल । बेलदार ओकरा डेली तर झाप देलक । थोड़े देर में बघवा आयल आउ बेलदरवा से पूछलक कि "ए भाई, एने एगो खरहा अलई हे ?" बेलदरवा कहलकई कि "हाँ, ओकरा मार के तो हम डलिया तर झाँक देली हे ।" बघवा कहलक कि कइसे खबहीं । बेलदरवा कहलकई कि सींझा के । बघवा कहलक कि ए भाई, ई बात तू केकरो से मत कहिहें कि खरहवा बघवा के खदेरले जाइत हले । बेलदरवा कहलक कि अच्छा भाई, न कहबउ । बेलदरवाजब साँझ के घरे अलई तऽ खरहवा के आग में पकावे लगलई से सब गाँव-घर के आ के पूछे लगल कि ए भाई, कहाँ से ले अयले हें ? कइसे मारले हें ? बेलदरवा कहलक कि कहे नऽ रे बाप ! ई न कहम, बघवा सुन लेत तो बचे नऽ देत । ओहनी कहलन कि कहे नऽ, का बात हउ ! जब सब लोग जोर मारलन तब कह देलक । बघवा ओकर घरवा के पिछुती सब सुनइत हल । जब रात के सूतल तो बघवा ओकर घर में छप्पर फाड़ के घुसल आउ बेलदरवा के कहलक कि अब बतावऽ, तू काहे दोसर से सब बात कह देले । अब बताव़ऽ कि हम तोरा कने से खइअऊ ? आगे से इया पीछे से ? बेलदरवा कहलक कि तोरा जने से मन हउ तने से खो । एतने में बेलदरवा के डर के मारे बड़ी जोर से हुचकी आयल । बघवा पूछकइ कि का बात हउ ? बेलदरवा कहलक कि खरहवा निकलल चाहऽ हे । बघवा कहलक कि तब थोड़ी देरी बन्द करऽ । हमरा भागे दऽ तब निकालिहें । बेलदरवा आउ जोर से चिल्ला के कहे लगल कि खरहवा अब निकलऽ तो बघवा जान छोड़ के भागल आउ बेलदरवा के परान बचल । आउ खिस्सा खतम, पइसा हजम ।
एगो खरहा आउ ऊँट हल । ओहनी दूनो इयारी लगौलन । एक दिन ऊँट मन में सोचलक कि आज इयार से बाजी लगाऊँ । ऊँट खरहा से पूछलक कि "इयार एगो भर छाती के देवाल हे । ओकरा कउन पहिले तड़पऽ हे । ऊँटवा सोचलक हल कि "हम तो तड़प जायब, ई सार तनियक गो जीव का तड़पत ? से दूनो छड़पे लगलन । ऊँट तो देवाल पर टँग गेल आउ खरहा पार हो गेल । से खरहवा से ऊँटवा कहलक कि हमरा कइसहूँ निकालऽ । खरहवा देवाल पर चढ़ के कभी ऊँट से मूँड़ी दने, कभी पीठ दने दोमचे । एतने में एगो बाघ आवइत हल । बाघ खरहा के देख के खड़ा हो गेल आउ सोचलक कि एतना बड़ा जानवर ऊँट के तो ई खरहवा तबाह कयले हे । ऊँटवा के मूँड़ी आउ देह ओर चले हे । हमरा देखत तो आउ तबाह कर देत । हम तो ऊँटवा से छोटे ही । ई सोच के बघवा उहाँ से भागल, तो खरहवा पाछे से रगेदलक । बघवा भागल जाइत हल आउ खरहवा खदेरले जाइत हल । बेलदार उहाँ माँटी कोड़इत हल से बेलदरवा चपड़ा के बेंट से अइसन मारलक कि खरहवा के कनचपड़ा में लागल । बस, खरहवा तो ओही जगह मर गेल । बेलदार ओकरा डेली तर झाप देलक । थोड़े देर में बघवा आयल आउ बेलदरवा से पूछलक कि "ए भाई, एने एगो खरहा अलई हे ?" बेलदरवा कहलकई कि "हाँ, ओकरा मार के तो हम डलिया तर झाँक देली हे ।" बघवा कहलक कि कइसे खबहीं । बेलदरवा कहलकई कि सींझा के । बघवा कहलक कि ए भाई, ई बात तू केकरो से मत कहिहें कि खरहवा बघवा के खदेरले जाइत हले । बेलदरवा कहलक कि अच्छा भाई, न कहबउ । बेलदरवाजब साँझ के घरे अलई तऽ खरहवा के आग में पकावे लगलई से सब गाँव-घर के आ के पूछे लगल कि ए भाई, कहाँ से ले अयले हें ? कइसे मारले हें ? बेलदरवा कहलक कि कहे नऽ रे बाप ! ई न कहम, बघवा सुन लेत तो बचे नऽ देत । ओहनी कहलन कि कहे नऽ, का बात हउ ! जब सब लोग जोर मारलन तब कह देलक । बघवा ओकर घरवा के पिछुती सब सुनइत हल । जब रात के सूतल तो बघवा ओकर घर में छप्पर फाड़ के घुसल आउ बेलदरवा के कहलक कि अब बतावऽ, तू काहे दोसर से सब बात कह देले । अब बताव़ऽ कि हम तोरा कने से खइअऊ ? आगे से इया पीछे से ? बेलदरवा कहलक कि तोरा जने से मन हउ तने से खो । एतने में बेलदरवा के डर के मारे बड़ी जोर से हुचकी आयल । बघवा पूछकइ कि का बात हउ ? बेलदरवा कहलक कि खरहवा निकलल चाहऽ हे । बघवा कहलक कि तब थोड़ी देरी बन्द करऽ । हमरा भागे दऽ तब निकालिहें । बेलदरवा आउ जोर से चिल्ला के कहे लगल कि खरहवा अब निकलऽ तो बघवा जान छोड़ के भागल आउ बेलदरवा के परान बचल । आउ खिस्सा खतम, पइसा हजम ।
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