[कहताहर - सुमेरु सिंह, मो॰-पो॰ - जईबिगहा, जिला - गया]
नौरंग आउ सबरंग नाम के दूगो भाई हलन । ओहनी दूनों भाई चोरी करे में माहिर हलन । एक दिन दूनों सोचलन कि "हमनी चोरी तो बड़ी कैली बाकि राजा हीं नऽ चोरवली तो पक्का चोर कउची के ? आजे चलल जाय !" दूनों भाई तैयार हो गेलन । फिन दूनों राजा के महल में घुस गेलन । उहाँ देखलन कि राजा सूतल हथ आउ नउवा गोड़ में तेल लगा रहल हे । जब राजा के नीन आ गेल तऽ नउवा उठ के चल देलक । तऽ चोरवा के छोटका भइवा राजा के खटिया पर बइठ गेल आउ गोड़ दबावे लगल । एतने में रजवा के नीन टूट गेलई आउ नउवा के खिस्सा कहेला कहलन तो नउवा के जगह पर बइठल चोरवा खिस्सा कहे लगल ।
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नौरंग आउ सबरंग नाम के दूगो भाई हलन । ओहनी दूनों भाई चोरी करे में माहिर हलन । एक दिन दूनों सोचलन कि "हमनी चोरी तो बड़ी कैली बाकि राजा हीं नऽ चोरवली तो पक्का चोर कउची के ? आजे चलल जाय !" दूनों भाई तैयार हो गेलन । फिन दूनों राजा के महल में घुस गेलन । उहाँ देखलन कि राजा सूतल हथ आउ नउवा गोड़ में तेल लगा रहल हे । जब राजा के नीन आ गेल तऽ नउवा उठ के चल देलक । तऽ चोरवा के छोटका भइवा राजा के खटिया पर बइठ गेल आउ गोड़ दबावे लगल । एतने में रजवा के नीन टूट गेलई आउ नउवा के खिस्सा कहेला कहलन तो नउवा के जगह पर बइठल चोरवा खिस्सा कहे लगल ।
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