[ कहताहर - देवनन्दन सिंह, मो॰ - चिलोरी, पो॰ - मलासी, मखदुमपुर, जिला - जहानाबाद]
एगो हल सिआर आउ एगो हले बकरी बकरी । दूनो लगौलक इयारी । बकरिया आउ सिअरवा एक दिन आपस में विचार कैलन कि अब अइसे बइठल रहे से काम नऽ चलतो । हमहूँ आउ तूहूँ एन्ने-ओन्ने डोलल चलऽ ही, से एगो काम करऽ - दूनो मिल के गिरहस्ती करऽ । से दूनो मिल के एगो खेत लेलक आउ ओकरा में बूँट लगौलक । ओहनी खेतवा में खूब मेहनत कैलन से बूँट खूब बरियार लगल । जब बूँट पक गेल तो सिअरवा बकरिया साथे बूँटवा अगोरे जाथ ।
एगो हल सिआर आउ एगो हले बकरी बकरी । दूनो लगौलक इयारी । बकरिया आउ सिअरवा एक दिन आपस में विचार कैलन कि अब अइसे बइठल रहे से काम नऽ चलतो । हमहूँ आउ तूहूँ एन्ने-ओन्ने डोलल चलऽ ही, से एगो काम करऽ - दूनो मिल के गिरहस्ती करऽ । से दूनो मिल के एगो खेत लेलक आउ ओकरा में बूँट लगौलक । ओहनी खेतवा में खूब मेहनत कैलन से बूँट खूब बरियार लगल । जब बूँट पक गेल तो सिअरवा बकरिया साथे बूँटवा अगोरे जाथ ।
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