[ कहताहर - तेतरी बुढ़िया, ग्राम - झिंगुरी, जिला - गया]
एगो राजा के एगो बेटी हले आउ एगो बेटा । बेटा बिआहत हल । उनकर बाप मर गेलन हल आउ खाली मइया बच गेल हल । एक दिन करमा आयल तो सब लड़की करमा कयले हलन । से ओहू मइया से कहलक कि हमहूँ करमा करब । मइया कहकई कि "अप्पन साड़ी तोरा न हउ ! का पेन्ह के करवे ?" तो ऊ कहलक कि भउजीओली सड़िया पेन्ह लेम । से करमा करे ला ऊ तइयार भेल बाकि ई करार पर सड़िया मिललई कि साड़ी में कुछो दाग-ऊग न लगे के चाहीं । राजा के बेटी के साड़ी मिलल आउ पोखरा पर सबसे नीचे साड़ी रखके नेहाय लगल । एतने में भउजइया एगो कउवा से कहलक कि "जो तूँ पोखरवा पर आउ सब से नीचे जे सड़िया रखल हे ओकरे पर हग दे गन । तोरा दूध-भात खिअबउ ।" से कउवा उहाँ से उड़ गेल आउ साड़ी उलट के सबसे निचला पर हग के चल आयल । भउजइया कउवा के दूध-भात खाय ला दे देलक ।
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एगो राजा के एगो बेटी हले आउ एगो बेटा । बेटा बिआहत हल । उनकर बाप मर गेलन हल आउ खाली मइया बच गेल हल । एक दिन करमा आयल तो सब लड़की करमा कयले हलन । से ओहू मइया से कहलक कि हमहूँ करमा करब । मइया कहकई कि "अप्पन साड़ी तोरा न हउ ! का पेन्ह के करवे ?" तो ऊ कहलक कि भउजीओली सड़िया पेन्ह लेम । से करमा करे ला ऊ तइयार भेल बाकि ई करार पर सड़िया मिललई कि साड़ी में कुछो दाग-ऊग न लगे के चाहीं । राजा के बेटी के साड़ी मिलल आउ पोखरा पर सबसे नीचे साड़ी रखके नेहाय लगल । एतने में भउजइया एगो कउवा से कहलक कि "जो तूँ पोखरवा पर आउ सब से नीचे जे सड़िया रखल हे ओकरे पर हग दे गन । तोरा दूध-भात खिअबउ ।" से कउवा उहाँ से उड़ गेल आउ साड़ी उलट के सबसे निचला पर हग के चल आयल । भउजइया कउवा के दूध-भात खाय ला दे देलक ।
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