[ कहताहर - नन्हे, ग्राम - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]
एगो अदमी के दूगो लइका हलन आउ जुदागी होयला पर दूनो दू गाँव में रहे लगलन । एक रोज एक भाई दोसर भाई से मिले उनकर गाँव में गेल तो घरे भाई के न पवलक । फिन भतीजा से पूछलक कि बाबू जी कहाँ गेलथुन हे ? तब भतीजा बोललकइ कि "बाबू जी नौ सौ बगेरी के ठीका ले-ले हथुन । से ओकरे बझावे गेलथुन हे ।" तब चचा पूछलक कि बगेरिया केतना दूध करऽ हो ? भतीजवा कहलक कि "दूध के तो न जानीं बाकि नौ भाँड़ी घीव रोज करऽ हे ।"
एगो अदमी के दूगो लइका हलन आउ जुदागी होयला पर दूनो दू गाँव में रहे लगलन । एक रोज एक भाई दोसर भाई से मिले उनकर गाँव में गेल तो घरे भाई के न पवलक । फिन भतीजा से पूछलक कि बाबू जी कहाँ गेलथुन हे ? तब भतीजा बोललकइ कि "बाबू जी नौ सौ बगेरी के ठीका ले-ले हथुन । से ओकरे बझावे गेलथुन हे ।" तब चचा पूछलक कि बगेरिया केतना दूध करऽ हो ? भतीजवा कहलक कि "दूध के तो न जानीं बाकि नौ भाँड़ी घीव रोज करऽ हे ।"
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