[ कहताहर - श्यामसुन्दर सिंह, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]
एक दफे एगो धुनिया आउ लोहार लड़ गेलन । लड़ के दूनो फैसला करावे ला राजा भिरू गेलन । राजा लड़े के कारण पूछलन तो धुनिया कहलक कि हम ओकरा से जादे जानऽ ही । लोहार कहलक कि हम धुनिया से ज्यादा इलमदार ही । राजा कहलन कि तोहनी अपन-अपन इलम देखावऽ । लोहरा कहलक कि एक मन लोहा हमरा चाहीं । धुनिया कहलक कि हमरा एक मन रूआ चाहीं । दूनो लेके आठ दिन में अपन-अपन इलम देखावे ला कहलन । लोहरा एगो मछरी बनौलक आउ धुनिया एगो घोड़ा बनौलक । धुनिया अइसन कल-पुर्जा ठीक कैलक कि घोड़ा असमान में उड़े । ऊ ओकर तीन कलपुर्जा बनौलक हल । पहला से उड़े, दूसरा से कहे पर ठहरे आउ तीसरा कल से जमीन पर उतरे लगे । दूनो अपन-अपन समान लेके राजा के दरबार में गेलन । लोहरा कहलक कि हमरा एक मन लावा चाहीं । एक मन लावा आयल आउ छींट देवल गेल । लोहरा पूरुब भर से मछरी छोड़ देलक तऽ ऊ सब लावा बीन के खा गेलक । तब धुनिया अपन घोड़ा लवलक बाकि कोई अदमी घोड़ा पर चढ़े ला तइयारे नऽ होवे । से राजा के लड़का घोड़ा पर चढ़े ला तइयार होयलन । उनका धुनियवा ओकर सब कल पुरजा बता देलक । एकरा बाद राजा एहनी दूनों के हथकड़ी पेन्हा के बन्द कर देलन कि जब तक हमर बेटा घूम के नऽ आ जायत तब तक तोहनी के नऽ छोड़वउ । राजा के लड़का घोड़ा उड़ा के चललन तऽ ऊ उड़ के दोसर देस में चल गेलन । बीच में एगो दरिआव हल । रास्ता में जाइत खानी एगो राजा के लड़की के ओकरा पर नजर परल, ओके देखके ऊ मोहित हो गेल । ऊ अप्पन दाई से कहलक कि हमर बापजान से कह दे कि ऊ मोसाफिर के बोला देथ । दाई जाके राजा से कहलक आउ राजा सिपाही के हुकुम देलक । सिपाही रहगीर के पकड़ लौलक । राजा के पूछे पर राजा के बेटा बतौलन कि हमरा अभी सादी नऽ भेल हे । से राजा अपन बेटी के सादी ओकरे साथे कर देलक । ऊ उहईं रहे लगलन । दु-चार बरस के बाद उनकर एगो लड़का भेल । ओकरा बाद फिनो एगो पेट में भी रहल तो राजा के दमाद कहलन कि हमरा रोसगद्दी कर दीहीं । रोसगद्दी हो गेल आउ ओही घोड़ा पर तीनों अदमी सवार होके दरिआव के किनारे अयलन तो रानी के तकलीफ होवे लगल । घोड़ा जमीन पर उतारलन तो उहईं रानी के एगो आउ लड़का भेल । घोड़ा पर चढ़ के राजा डागरिन बोलावे अप्पन राज में गेलन तो उहईं बीड़ी धरावे लगलन तऽ रूआ के घोड़ा में आग लग गेल । घोड़ा जर गेल तो दरिआव पार कर के रानी भिरू जाय ला मोसकिल हो गेल । से ऊ नऽ अयलन आउ अपन घरे लौट गेलन । धुनिया आउ लोहार छोड़ देवल गेल ।
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एक दफे एगो धुनिया आउ लोहार लड़ गेलन । लड़ के दूनो फैसला करावे ला राजा भिरू गेलन । राजा लड़े के कारण पूछलन तो धुनिया कहलक कि हम ओकरा से जादे जानऽ ही । लोहार कहलक कि हम धुनिया से ज्यादा इलमदार ही । राजा कहलन कि तोहनी अपन-अपन इलम देखावऽ । लोहरा कहलक कि एक मन लोहा हमरा चाहीं । धुनिया कहलक कि हमरा एक मन रूआ चाहीं । दूनो लेके आठ दिन में अपन-अपन इलम देखावे ला कहलन । लोहरा एगो मछरी बनौलक आउ धुनिया एगो घोड़ा बनौलक । धुनिया अइसन कल-पुर्जा ठीक कैलक कि घोड़ा असमान में उड़े । ऊ ओकर तीन कलपुर्जा बनौलक हल । पहला से उड़े, दूसरा से कहे पर ठहरे आउ तीसरा कल से जमीन पर उतरे लगे । दूनो अपन-अपन समान लेके राजा के दरबार में गेलन । लोहरा कहलक कि हमरा एक मन लावा चाहीं । एक मन लावा आयल आउ छींट देवल गेल । लोहरा पूरुब भर से मछरी छोड़ देलक तऽ ऊ सब लावा बीन के खा गेलक । तब धुनिया अपन घोड़ा लवलक बाकि कोई अदमी घोड़ा पर चढ़े ला तइयारे नऽ होवे । से राजा के लड़का घोड़ा पर चढ़े ला तइयार होयलन । उनका धुनियवा ओकर सब कल पुरजा बता देलक । एकरा बाद राजा एहनी दूनों के हथकड़ी पेन्हा के बन्द कर देलन कि जब तक हमर बेटा घूम के नऽ आ जायत तब तक तोहनी के नऽ छोड़वउ । राजा के लड़का घोड़ा उड़ा के चललन तऽ ऊ उड़ के दोसर देस में चल गेलन । बीच में एगो दरिआव हल । रास्ता में जाइत खानी एगो राजा के लड़की के ओकरा पर नजर परल, ओके देखके ऊ मोहित हो गेल । ऊ अप्पन दाई से कहलक कि हमर बापजान से कह दे कि ऊ मोसाफिर के बोला देथ । दाई जाके राजा से कहलक आउ राजा सिपाही के हुकुम देलक । सिपाही रहगीर के पकड़ लौलक । राजा के पूछे पर राजा के बेटा बतौलन कि हमरा अभी सादी नऽ भेल हे । से राजा अपन बेटी के सादी ओकरे साथे कर देलक । ऊ उहईं रहे लगलन । दु-चार बरस के बाद उनकर एगो लड़का भेल । ओकरा बाद फिनो एगो पेट में भी रहल तो राजा के दमाद कहलन कि हमरा रोसगद्दी कर दीहीं । रोसगद्दी हो गेल आउ ओही घोड़ा पर तीनों अदमी सवार होके दरिआव के किनारे अयलन तो रानी के तकलीफ होवे लगल । घोड़ा जमीन पर उतारलन तो उहईं रानी के एगो आउ लड़का भेल । घोड़ा पर चढ़ के राजा डागरिन बोलावे अप्पन राज में गेलन तो उहईं बीड़ी धरावे लगलन तऽ रूआ के घोड़ा में आग लग गेल । घोड़ा जर गेल तो दरिआव पार कर के रानी भिरू जाय ला मोसकिल हो गेल । से ऊ नऽ अयलन आउ अपन घरे लौट गेलन । धुनिया आउ लोहार छोड़ देवल गेल ।
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