Monday, March 3, 2008

3.13 राजा के बेटा नेउर

[ कहताहर - जवाहर प्रसाद सिंह, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एगो राजा हलन । उनका सात गो रानी हलन बाकि कोई रानी से उनका एको बाल-बच्चा न हल । एक दिन राजा अप्पन फुलवाड़ी दने मैदान गेलन आउ घूमल आवइत हलन तो एगो कहारिन के मुँह से सुनलन कि आज बँझवा पर नजर परल हे, खाय ला मिलऽ हे कि तो नऽ । राजा कहलन कि हम अइसन हो गेली हे कि कहारिन भी कहऽ हे कि हमरा देखे से खा ही ला न मिलत । ऊ मर-मैदान होके घरे अयलन आउ सब बात रानी से कहलन । ओही दिन एगो फकीर भीख माँगे आयल । राजा अप्पन आरतबस फकीर से कहलन कि हमरा बंस न हे, महराज, तू कुछ उपाय बतावऽ कि हमरा बंस चले । फकीर तीन बार राजा से पूछलन कि हम जे कहबवऽ से तू करबऽ नऽ ? राजा तीनो बार "हाँ - हाँ" करइत गेलन । तब फकीर कहलक कि "ए राजा, तू अप्पन बगीचा में जा आउ सात आम के घउद खोजऽ । मिल जाय तो ओकरा बायाँ हाथ से तोड़े ला मारऽ आउ दहिना हाथ से लोक लऽ । ओकरा आन के सातो रानी के एकह गो आम खिया दऽ । तोर मनसा पूरा होतवऽ ।" राजा ओइसहीं कैलन आउ आम लाके सातो रानी के बाँट देलन । छवो रानी तो खा गेलन बाकि छोटकी रानी के आम देवताघर के कोठी पर रख देल गेल । से ऊ आम नेउर खा गेल । ओकर आँठी ओहिजे रह गेल । जब छोटकी रानी खाय-पानी बना के अप्पन आम खोजे लगलन तो ओकरा आँठी मिलल । ऊ अँठिये के धो-धा के खा गेलन । नौ महीना के बाद छवो रानी के एकह गो बेटा जलम लेलक आउ छोटकी रानी एगो नेउर के जलम देलक । ऊ अप्पन किस्मत के दोस देलक आउ नेउरिये के बड़ी परेम से पाले-पोसे लगल ।

********* Entry Incomplete **********

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