Wednesday, March 5, 2008

4.06 सइतिन डाह

[ कहताहर - रामप्यारे देवी, मो॰ - तवकला, जिला - गया ]

एगो राजा हलन जे संतान ला एक-एक करके छव गो सादी कयलन बाकि कोई लइका-फइका न भेल । अंत में एगो आउ सादी कयलन । भागबस ओकरा से गरभ रह गेल । जब ई बात पहिलकी छवो रानी जान गेलन तो ओहनी के सक भेल कि अब हमनी के इहाँ रहतब न हे । से छवो मिल के ओकरा पर दोस मँढ़लन आउ राजा से कह के घर से निकलवा देलन । छोटकी रानी निकल के भीख-उख माँगे लगलन आउ अप्पन जीवन पाले लगलन । एक दिन उनका एगो बेटा जलम लेलक । ओकरा पोसे-पाले लगलन । अब ऊ जब जवान भेल तो काम-काज ला इधर-उधर जायल चाहलन । ओकर माय कहलई कि "पूब जइहँऽ, पच्छिम जइहँऽ, उत्तर जइहँऽ बाकि दक्खिन मत जइहँऽ !" बेटा ई बात सुन के एकर जानल चाहलक । माय पहिले तो न बतावल चाहे बाकि अंत में कहलक कि "दक्खिन में तोर बाप के राज हवऽ । उहाँ राजा के छव गो रानी हमर सइतिन हथ । तोरा जान गेला पर जान से मुआ देथुन ।" एतना सुन के लड़का न मानलक आउ दखिने तरफ निकलल । उहाँ जा के राजा किहाँ ऊ काम करे ला रह गेल । कुछ दिन के बाद रनियन के मालूम हो गेल कि ई राजा के छोटकी रानी के बेटा हे । राजा जान जयतन तो हमनी के निकाल के एकरे रख लेतन । ई से ओहनी राजा के पास चुगली करके लड़कवा के बँधवा देलन । ढेर दिन होवे पर ओकर मइया रोइत-रोइत खोजे निकलल ।

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