Sunday, March 2, 2008

3.10 छउँड़ा-चोर

[ कहताहर - सूर्यदेव सिंह, ग्राम - दनई, पो॰ - जाखिम, जिला - गया]

एगो राजा के पाँच गो लड़का हल । पाँचो लड़कन के पढ़े ला पठशाला में भेज देले हलन । एक दिन जब पाँचो लड़का पढ़ के अयलन तो राजा पूछलन कि बेटा, कउन-कउन विद्या पढ़लऽ हे ? सभे लड़कन बोललन कि हमनी राजनीति-विद्या सिखली हे कि राज-पाट कइसे चलावल जा हे । बाकि छोटका लड़का बोलल कि हम तो चोरी-विद्या सिखली हे । राजा फिनो ओही लड़का के पढ़े ला भेज देलन । एकरा बाद फिनो पूछलन कि का-का पढ़लऽ बेटा ? फिनो छोटका लड़का बोलल कि अबकी तऽ हम आउ चोरी-विद्या सीख के पक्का हो गेलिअवऽ हे । राजा कहलन कि अइसन काम तू न छोड़बऽ ? एकरा पर लड़का बोलल कि हमरा से ना छूट सकऽ हे । एकरे पर राजा बोललन कि जब तूँ पक्का चोर हो गेले हें तो फलना राज में एगो राजा के मीसी तलवार आ एगो सामकरन घोड़ा हे, तूँ ओकरा चोरा के चार रोज में ले आव तो हम जानीं कि तूँ पक्का चोर हो गेले हें । एकरा पर छोटका लड़का बोलल कि ई कउन भारी बात हे ?

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