[कहताहर -- प्रो॰ श्यामनन्दन शास्त्री, सिमली शाहदरा, पटना सिटी (बिहार)]
एगो बड़ी गरी किसान हल । ओकरा एगो बेटी हल, जे ओकर सन्तान में सबसे बड़ी आउ बेहद सुन्नर हल । बाकी तीन गो लड़को हल से तीनो अभी छोट-छोट बुतरुए हलन । किसान के न तो खेद-बगाध हल आउ न रहे के बढ़िया मकाने हल । बस, एगो टूटल-फूटल घेरावाला झोपड़ा हल, जेकर छप्पर ताड़ के सुखल पतर से छावल हल । जब कभी तेज हवा बहऽ हल त छप्पर के तड़वा झनर-झनर बाजे लगऽ हल आउ ओकर उघरल बड़ेरी के बेंट हाथी के बड़का दाँत नियन हरमेसा निकलल रहऽ हल ।
एगो बड़ी गरी किसान हल । ओकरा एगो बेटी हल, जे ओकर सन्तान में सबसे बड़ी आउ बेहद सुन्नर हल । बाकी तीन गो लड़को हल से तीनो अभी छोट-छोट बुतरुए हलन । किसान के न तो खेद-बगाध हल आउ न रहे के बढ़िया मकाने हल । बस, एगो टूटल-फूटल घेरावाला झोपड़ा हल, जेकर छप्पर ताड़ के सुखल पतर से छावल हल । जब कभी तेज हवा बहऽ हल त छप्पर के तड़वा झनर-झनर बाजे लगऽ हल आउ ओकर उघरल बड़ेरी के बेंट हाथी के बड़का दाँत नियन हरमेसा निकलल रहऽ हल ।
************ Entry Incomplete ************
No comments:
Post a Comment